Chandipura Virus: संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. चेतन त्रिवेदी ने बताया चांदीपुरा वायरस का ए टू जेड, जानिए कब खत्म होगा ये वायरस

कमजोर, कुपोषित और कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों पर ज्यादा असर जो बच्चे कुपोषित हैं और अगर किसी को कोई बीमारी है या उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है तो चांदीपुरा वायरस का असर उन बच्चों पर ज्यादा होता है।

इस वायरस के लक्षण जिस बच्चे में होते हैं उसमें से अधिकांश बच्चे 72 घंटे में ही दम तोड़ देते हैं। रेत मक्खी का दौर खत्म होते ही चांदीपुरा वायरस हा जाएगा खत्म 2010 में आनंद खेड़ा में नए मामलों का अंबार लग गया।

ये दो-चार साल में आता है, जब पता चलता है तो मीडिया में आ जाता है।

अब सोशल मीडिया की वजह से अगर पता चल जाए कि हमें कोई केस मिला है तो हमें भी लिखना चाहिए कि हमें भी कोई केस मिला है।

पहले नहीं पता था. अवधि समाप्त होते ही यह रेत मक्खी समाप्त हो जायेगी। बच्चों के लिए इसका विशेष रूप से करें पालन आपको ध्यान रखना चाहिए कि रेत न उड़े।

घर में गंदगी नहीं भरनी चाहिए और यदि घर में दरारें हों तो वहां दवा का छिड़काव करना चाहिए।

बच्चे को गंदी जगह पर न जाने दें।

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